अंतर्मन के भाव संजोकर राष्ट्रदेव का ध्यान करें संघ गीत। RSS geet

अंतर्मन के भाव संजोकर –  प्रस्तुत गीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गीत है जिसमें भारतीय संस्कृति के गौरव का बखान किया गया है। जिसमें उसकी भूधरा  को देव तुल्य माना गया है , उसकी महान संस्कृति का गुणगान प्रत्येक पंक्ति में सुनने को मिल जाता है। यहां देवी देवता ही नहीं बल्कि एक सामान्य व्यक्ति भी अपने शौर्य पराक्रम और समर्पण के कारण देवतुल्य हो जाता है।

भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां ऊंच-नीच आदि का भेद मिटा कर एक – दूसरे को गले लगाते हैं और सभी भाई चारे के साथ यहां रहते हैं। इस भारत माता के शान में इसके सपूत हमेशा खड़े रहते हैं।

 

अंतर्मन के भाव संजोकर राष्ट्रदेव का ध्यान करें

 

अंतर्मन के भाव संजोकर , राष्ट्रदेव का ध्यान करें।
अपना तन-मन अपना जीवन , इस वेदी पर दान करें॥

 

जिसकी रक्षा करने को ही ,देवों के अवतार हुए।
जिसके पावन कर्म देवता , संस्कृति के आधार हुए।

पूत देववाणी कहलायी जिनसे यह संस्कृति भाषा

देव धरा पर कभी न पनपी दुष्ट दानवों की आशा

इस राष्ट्र का निज पौरुष से विक्रम से निर्माण करें। । १

अपना तन-मन अपना जीवन , इस वेदी पर दान करें॥

 

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जिसकी पूजा की वीरों ने , सदियों अपने प्राणों से।
माँ बहिनों ने शिशु बालों ने , निज अनुपम बलिदानों से।

जिसकी जय जय कहते कहते लाखों ने फांसी पायी

जिसके आँगन में स्वतंत्रता देवी ने लोरी गायी
इसको अजर अमर करने को , फिर सशक्त बलवान बनें। । २

अपना तन-मन अपना जीवन , इस वेदी पर दान करें॥

 

 

 

सबसे उर्वर इसकी धरती ,सबसे शुचि इसका पानी।
अन्नपूर्णा लक्ष्मी है यह , सिंह वाहिनी मर्दानी।
विविध अन्न फल फूल यहाँ पर ,उगते आये सदा अपार।
स्वर्ण रजत हीर मोती की , यह वसुधा अक्षय आगार।
अपने श्रम अपने उद्यम से ,फिर इसको धनवान करे। । ३

अपना तन-मन अपना जीवन , इस वेदी पर दान करें॥

 

 

ऊँच-नीच के भेद भुला , भाई -भाई सब एक रहें।
अनुशासन से ह्रदय सींचकर ,पौरुष के अतिरेक बनें।
राष्ट्र हेतु सर्वस्व समर्पण , को जनमन तैयार रहे।
ह्रदय-ह्रदय से राष्ट्र भक्ति की ,बहती अविरल धार रहे।
संगठनों से सारे जग मे , फिर इसको छविमान करे। । ४

अपना तन-मन अपना जीवन , इस वेदी पर दान करें॥

अंतर्मन के भाव संजोकर , राष्ट्रदेव का ध्यान करें
अपना तन-मन अपना जीवन , इस वेदी पर दान करें॥

 

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