फिर क्या दूर किनारा संघ गीत – fir kya door kinara rss geet written here full lyrics
फिर क्या दूर किनारा
फिर क्या दूर किनारा
त्याग प्रेम के पथ पर चलकर
मूल न कोई हारा।
हिम्मत से पतवार सम्भालो
फिर क्या दूर किनारा।
हो जो नहीं अनुकूल हवा तो
परवा उसकी मत कर।
मौजों से टकराता बढ़ चल
उठ मांझी साहस धर।
धुंध पड़े या आंधी आये
उमड़ पड़े जल धारा। ।
हाथ बढ़ा पतवार को पकड़ो
खोल खवैया लंगर।
मदद मल्लाहों की करता है
बाबा भोले संकर।
जान हथेली पर रखकर
लाखों को तूने तारा। ।
दरियाओं की छाती पर था
तूने होश संभाला।
लहरों की थपकी से सोया
तूफानों ने पाला
जी भर खेला डोल भंवर से
जीवन मस्त गुजारा। ।
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