मातृभूमि गान से गूंजता रहे गगन
गणगीत – मातृभूमि गान से गूंजता रहे गगन
मातृभूमि गान से गूंजता रहे गगन
स्नेह नीर से सदा फूलते रहे सुमन। २
जन्म सिद्ध भावना स्वदेश का विचार हो
रोम -रोम में रमा स्वधर्म संस्कार हो
आरती उतारते प्राण दीप हो मगन
स्नेह नीर से सदा फूलते रहे सुमन। ।
हार के सुसुत्र में मोतियों की पंक्तियाँ
ग्राम नगर से संग्रहित शक्तियां
लक्ष – लक्ष रूप से राष्ट्र हो विराट तन।
स्नेह नीर से सदा फूलते रहे सुमन। ।
ऐक्य शक्ति देश की प्रगति में समर्थ हो
धर्म आसरा लिए मोक्ष काम अर्थ हो
पुण्ड भूमि आज फिर ज्ञान का बने सदन।
स्नेह नीर से सदा फूलते रहे सुमन। ।
मातृभूमि गान से गूंजता रहे गगन
स्नेह नीर से सदा फूलते रहे सुमन। ।
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