संघ गीत माला
भारत माता तेरा आँचल
भारत माता तेरा आँचल , हरा – भरा धानी – धानी।
मीठा – मीठा चम् -चम करता , तेरी नदियों का पानी। २
हरी हो गयी बंजर धरती , नाचे झरनो में बिजली।
सोना चांदी उगल रही है , तेरी नदियों का पानी।
भारत माता तेरा आँचल , हरा – भरा धानी – धानी।
मीठा – मीठा चम् -चम करता , तेरी नदियों का पानी।
मस्त हवा जब लहराती है , दूर – दूर तक पहुंचाती है।
तेरे ऊँचे ऊँचे पर्वत , निडर बहादुर सेनानी .
भारत माता तेरा आँचल , हरा – भरा धानी – धानी।
मीठा – मीठा चम् -चम करता , तेरी नदियों का पानी।
चलो भाई चलो शाखा में चलो
चलो भाई चलो शाखा में चलो
थोड़ी देर अब तुम सब काम भूलो ,
चलो भाई चलो संग संग चलो।
आज के दिन जरा हंसो और खेलो। ।
चलो भाई चलो शाखा में चलो …………….
राम कृष्ण के वारिस हम ,
गर्व से कहते हिन्दू हम ,
भगवा ध्वज है पूज्य परम ,
वंदन करो संग – संग चलो। ।
चलो भाई चलो शाखा में चलो …………….
जीजा का मातृत्व हमे
शौर्य लक्ष्मी का है तन में
मौसी जी की आन हम
आगे बढ़ो और संग संग चलो। ।
चलो भाई चलो शाखा में चलो …………….
छोटे – छोटे बचे हम
काम बड़ा करेंगे हम
धैर्य की रक्षा करेंगे हम
कहेंगे वनडे मातरम्। ।
चलो भाई चलो शाखा में चलो …………….
शाखा में है रियल फन
कब्बडी खो – खो में रमता मन
करो योग भूलो गम
कदम मिलाओ और संग – संग चलो। ।
चलो भाई चलो शाखा में चलो …………….
थोड़ी देर अब तुम सब काम भूलो ,
चलो भाई चलो संग संग चलो।
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है ,
माटी से अनुपम प्यार है , माटी से अनुपम प्यार है। । २
इस धरती पर जन्म लिया था दसरथ नंन्दन राम ने ,
इस धरती पर गीता गायी यदुकुल – भूषण श्याम ने।
इस धरती के आगे झुकता मस्तक बारम्बार है। ।
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है………..
इस धरती की गौरव गाथा गायी राजस्थान ने ,
इस पुनीत बनाया अपने वीरों के बलिदान ने।
मीरा के गीतों की इसमें छिपी हुई झंकार है। ।
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है………..
कण – कण मंदिर इस माटी का कण – कण में भगवान् है ,
इस माटी से तिलक करो यह मेरा हिन्दुस्तान है।
हर हिन्दू का रोम रोम भारत का पहरेदार है। ।
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है………..
हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है ,
माटी से अनुपम प्यार है , माटी से अनुपम प्यार है। ।
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