सरस्वती वंदना , देवी पूजन ,हंस वाहिनी
माँ शारदे हंस वाहिनी
वीणापाणि ब्रह्मभामिनी
कलास्वामिनी जग तारदे।
ह्रदय गगन में , मर्त्य भवन में
मुक्त पवन में , हर एक मन में
जग जीवन में रश्मि कर दे
माँ शारदे हंस वाहिनी ………………… ।
ज्ञानहीन हूँ में , ध्यानहीन हूँ में
बुद्धिहीन हूँ , विवेकहीन हूँ
अज्ञानी हूँ में ,ज्ञान भर दे
माँ शारदे हंस वाहिनी ………………… ।
मकर संक्रांति का महत्व , क्यों है यह दिन खास
भगवा अग्नि का प्रतीक है। जिस प्रकार अग्नि सारी बुराइयों को जलाकर स्वाहा कर देती है , उसी प्रकार भगवा भी सारी बुराइयों को समाज से दूर करने का प्रयत्न कर रहा है। संपूर्ण भारत भगवामय हो ऐसा संघ का सपना है। यहाँ हमारा भगवा से आशय बुराई मुक्त समाज से है।
इस भगवा ध्वज को ‘ श्री रामचंद्र ‘ ने राम – राज्य में ‘ हिंदूकुश ‘ पर्वत पर फहराया था , जो हिंदू साम्राज्य के वर्चस्व का परिचायक है। इसी भगवा ध्वज को ‘ वीर शिवाजी ‘ ने मुगल व आताताईयों को भगाने के लिए थामा था। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी साँस छोड़ दिया , किंतु भगवा ध्वज को नहीं छोड़ा।
इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।
आपसे अनुरोध है कि अपने विचार कमेंट बॉक्स में सम्प्रेषित करें।
फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से अपने सुभेक्षु तक भेजें।