अमृत वचन बालासाहब देवरस
बालासाहब देवरस अमृत वचन
” संघ की शाखा केवल खेल खेलने और कवायद करने का स्थान मात्र नहीं है। यह सज्जनों की सुरक्षा का बिन बोले अभिवचन है , तरुणों को अनिष्ट व्यसनों से मुक्त रखने वाला संस्कारपीठ है , महिलाओं के प्रति सम्मान पूर्ण आचरण का आश्वासन है , समाज पर अकस्मात आने वाली विपदाओं और संकटों में त्वरित तथा निरपेक्ष सहायता मिलने का आशा केंद्र है। राष्ट्र विरोधी तत्वों पर धाक स्थापित करने वाली शक्ति है , और सबसे बढ़कर समाज – जीवन के सभी क्षेत्रों में सुयोग्य कार्यकर्ता उपलब्ध कराने वाला ‘ विद्यापीठ ‘ है।
( बाला साहब देवरस तीसरे सरसंघचालक 1973 – 94 )
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विद्या ददाति विनयम
कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।
” राम – राज फिर आएगा , घर – घर भगवा छाएगा”
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