जिनके ओजस्वी वचनो से गूंज उठा था विश्व गगन। स्वामी पूज्य विवेकानंद। संघ गीत

जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन

 

जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन

वही प्रेरणा पुंज हमारे ,  स्वामी पूज्य विवेकानंद। २

जिनके माथे गुरु कृपा थी , दैनिक गुण आलोक भरा।

अद्भुत प्रज्ञा परकटी जग में , धन्य – धन्य यह पुण्य धरा।

सत्य सनातन परम ज्ञान का , जो करते अभिनव चिंतन।

वही प्रेरणा पुंज हमारे ,  स्वामी पूज्य विवेकानंद।

जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन

जिनका फौलादी भुजबल था , हर संकट में सदा अटल।

मर्यादित तेजस्वी जीवन , सजग समर्पित था हर पल।

हो निर्भय जो करे गर्जना , जिनके अन्तस दिव्य अगन।

वही प्रेरणा पुंज हमारे ,  स्वामी पूज्य विवेकानंद।

जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन

जिसके रोम रोम म करुणा , समरस जनजीवन की चाह।

नष्ट करे सारे भेदों को , सेवाव्रत ही सच्ची राह।

दरिद्र ही नारायण जिनका , हर धड़कन में अपमान।

वही प्रेरणा पुंज हमारे ,  स्वामी पूज्य विवेकानंद।

जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन

जिसके मन था स्वपन महान , हो भारत का पुनरुथान।

जीवनदीप में सब जलाकर पाए , गौरवमय – वैभव , सम्मान।

जगती में सब सुखद – सुमंगल , बहे सुगन्धित मुक्त पवन।।

वही प्रेरणा पुंज हमारे ,  स्वामी पूज्य विवेकानंद।

जिनके ओजस्वी वचनो से , गूंज उठा था विश्व गगन

वही प्रेरणा पुंज हमारे ,  स्वामी पूज्य विवेकानंद।।

 

इस भगवा ध्वज को ‘ श्री रामचंद्र ‘ ने राम – राज्य में ‘ हिंदूकुश ‘ पर्वत पर फहराया था , जो हिंदू साम्राज्य के वर्चस्व का परिचायक है।  इसी भगवा ध्वज को ‘ वीर शिवाजी ‘ ने मुगल व आताताईयों को भगाने के लिए थामा था। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी साँस छोड़ दिया , किंतु भगवा ध्वज को नहीं छोड़ा।

इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।

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