बढे चलो बढे चलो संघ गीत
बढे चलो बढे चलो संघ गीत
बढे चलो बढे चलो
न हाथ एक अस्त्र हो ,
न साथ एक शस्त्र हो ,
न अन्न नीर वस्त्र हो ,
हटो नहीं डटो वहीं बढे चलो बढे चलो। ।
रहे सक्षम हिमशिखर ,
तुम्हारा पग उठे निखर ,
भले ही जाय तन बिखर ,
रुको नहीं नहीं बढे चलो बढे चलो। ।
घटा घिरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही अमृत का घूंट हो
जिए चलो मरे चलो बढे चलो बढे चलो। ।
गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हो
लहू का अपना फाग हो
अड़ो वहीं गड़ो वहीं बढे चलो बढे चलो। ।
चलो नयी मिसाल हो
चलो यही मशाल हो
बढ़ो नया कमाल हो
रुको नहीं झुको नहीं बढे चलो बढे चलो। ।
प्रस्तुत गीत संघ में गया जाने वाला गीत है। आपकी रूचि को ध्यान में रखकर यह गीत त्यारा किया जा रहा है। आप इस अवसर का लाभ उठाये .किसी प्रकार का सुझाव मार्गदर्शन आप दे सकते हैं इसके लिए निचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते है।
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