विश्व गुरु तव अर्चना गुरु दक्षिणा एकल गीत
ekal geet vishw guru tw archna
विश्व गुरु तव अर्चना गुरु दक्षिणा एकल गीत
विश्व गुरु तव अर्चना में , भेट अर्पण क्या करें।
जबकि तन – मन – धन , तुम्हारे और पूजन क्या करें। ।२
प्राची की अरुणिम छटा है , यज्ञ की आभा – विभा है।
अरुण ज्योतिर्मय ध्वजा है , दीप दर्शन क्या करें |
वेद की पावन ऋचा से , आज तक जो राज गूंजे।
वंदना के उन स्वरों में , तुच्छ वंदन क्या करें | |
राम के अवतार आएँ , कर्ममय जीवन चढ़ाएं
अजिर तन तेरा चलाएं , और अर्चन क्या करें |
पत्र – फल और पुष्प जल से , भावना ले हृदय तल से ,
प्राण के पल – पल विपल से , आज आराधन करें। ।
विश्व गुरु तव अर्चना में , भेट अर्पण क्या करें।
जबकि तन – मन – धन , तुम्हारे और पूजन क्या करें। ।
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संघ क्या है ? क्यों आज आवश्यक है
चले चले हम निशिदिन अविरल गणगीत
जीना है तो गरजे जग में हिन्दू हम सब एक गणगीत
विद्या ददाति विनयम
कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।
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