संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बढे चलो
संगठन गढ़े चलो सुपंथ पर बढे चलो।
भला हो जिसमे देश का , वो काम सब किये चलो।।
युग के साथ मिल के सब , कदम बढ़ाना सिख लो ,
एकता के स्वर में गीत , गुनगुनाना सिख लो ,
भूल का भी मुख से जाति , पंथ की न बात हो
भाषा प्रांत के लिए , कभी न रक्त – पात हो ,
फुट का घड़ा भरा है , फोड़ कर बढे चलो।
भला हो जिसमे देश का , वो काम सब किये चलो।
संगठन गढ़े चलो , सुपंथ पर बढे चलो।
भला हो जिसमे देश का , वो काम सब किये चलो।।
आ रही है आज चारों ओर से यही पुकार
हम करेंगे त्याग मातृभूमि के लिए अपार
कष्ट जो मिलेगे , मुस्कुरा के सब सहेंगे हम
देश के लिए सदा , जियेंगे और मरेंगे हम
देश का ही भाग्य , अपना भाग्य है ये सोच लो।
भला हो जिसमे देश का , वो काम सब किये चलो।
संगठन गढ़े चलो , सुपंथ पर बढे चलो।
भला हो जिसमे देश का , वो काम सब किये चलो।।
इस भगवा ध्वज को ‘ श्री रामचंद्र ‘ ने राम – राज्य में ‘ हिंदूकुश ‘ पर्वत पर फहराया था , जो हिंदू साम्राज्य के वर्चस्व का परिचायक है। इसी भगवा ध्वज को ‘ वीर शिवाजी ‘ ने मुगल व आताताईयों को भगाने के लिए थामा था। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी साँस छोड़ दिया , किंतु भगवा ध्वज को नहीं छोड़ा।
इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।
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