संगठन मन्त्र
sngthan mantr rss in hindi
ॐसंगच्छध्वं संवदध्वं
सं वो मनांसि जानताम्
देवा भागं यथा पूर्वे
सञ्जानाना उपासते ||
अर्थ – कदम से कदम मिलाकर चलो , स्वर में स्वर मिला कर बोलो , तुम्हारे मनों मे समाज बोध हो। पूर्व कालमें जैसे देबों ने अपना भाग प्राप्त किया , सम्मिलित बुद्धि से कार्य करने वाले उसी प्रकार अपना – अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं।
समानो मन्त्र: समिति: समानी
समानं मन: सहचित्तमेषाम्
समानं मन्त्रमभिमन्त्रये व:
समानेन वो हविषा जुहोमि ||
अर्थ – मिलकर कार्य करने वालों का मंत्र समान होता है , अर्थात वह परस्पर मंत्रणा करके एक निर्णय पर पहुंचते हैं। चित सहित उनका मन समान होता है। मैं तुम्हें मिलकर संभाल निष्कर्ष पर पहुंचने की प्रेरणा (या परामर्श) देता हूं तुम्हें समान भोज्य प्रदान करता हूं।
समानी व आकूति: समाना हृदयानि व:|
समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति ||
अर्थ – तुम्हारी भावना या संकल्प समान हो , तुम्हारा हृदय समान हो , तुम्हारा मन समान हो , जिससे तुम लोग परस्पर सहकार कर सको।
( ऋग्वेद से लिया गया है )