स्वामी विवेकानन्द अमृत वचन
स्वामी विवेकानन्द अमृत वचन
जैसा तुम सोचते हो , वैसे ही बन जाओगे।
खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल
और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे। ।
स्वामी विवेकानन्द अमृत वचन
जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे ,
तब समझ लेना उसका अंत हो गया।
मै यद्यपि हिन्दू जाति का नगण्यघटक हु ,
किन्तु मुझे अपनी जाति पर गर्व है , अपने पूर्वजों पर गर्व है।
मै स्वयं को हिन्दू कहने में गर्व अनुभव करता हु। ।
स्वामी विवेकानन्द अमृत वचन
कर्म करना बहुत अच्छा है , पर वह विचार से आता है।
इसलिए अपने मस्तिष्क को ,
उच्च विचारो और उत्तम आदर्शों से भर लो ,
उन्हें रात दिन अपने सामने रखो ,
उन्ही से महा कार्यों का जन्म होता है। ।
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विद्या ददाति विनयम
कलयुग में शक्ति का एक मात्र साधन ‘संघ ‘ है। अर्थात जो लोग एकजुट होकर संघ रूप में रहते हैं , संगठित रहते हैं उनमें ही शक्ति है।
साथियों संघ के गीत का यह माला तैयार किया गया है , जो संघ के कार्यक्रम में ‘ एकल गीत ‘ व ‘ गण गीत ‘ के रूप में गाया जाता है। समय पर आपको इस माला के जरिए गीत शीघ्र अतिशीघ्र मिल जाए ऐसा हमारा प्रयास है। आप की सुविधा को ध्यान में रखकर हमने इसका मोबाइल ऐप भी तैयार किया है जिस पर आप आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
” राम – राज फिर आएगा , घर – घर भगवा छाएगा”
भगवा अग्नि का प्रतीक है। जिस प्रकार अग्नि सारी बुराइयों को जलाकर स्वाहा कर देती है , उसी प्रकार भगवा भी सारी बुराइयों को समाज से दूर करने का प्रयत्न कर रहा है। संपूर्ण भारत भगवामय हो ऐसा संघ का सपना है। यहाँ हमारा भगवा से आशय बुराई मुक्त समाज से है।
इस भगवा ध्वज को ‘ श्री रामचंद्र ‘ ने राम – राज्य में ‘ हिंदूकुश ‘ पर्वत पर फहराया था , जो हिंदू साम्राज्य के वर्चस्व का परिचायक है। इसी भगवा ध्वज को ‘ वीर शिवाजी ‘ ने मुगल व आताताईयों को भगाने के लिए थामा था। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी साँस छोड़ दिया , किंतु भगवा ध्वज को नहीं छोड़ा।
इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।
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जय हिन्द राष्ट्र