एकल गीत हिन्दू साम्राज्य दिवस हेतु।
ekal geet for hindu samrajya diwas
पावन Hindu samrajya diwas
स्वातंत्र्य साध के ओ प्रतीक ,
ओ गगन – गान के भाग्य दिवस। । २
खंडित कर यवनो का शासन , खंडित कर पापी सिंहासन
भारत को करने एक – सूत्र गौ – ब्रह्ममण का करने पालन
गरजा शिव सरजा का सहस। ।
ओ गगन – गान के भाग्य दिवस ……….
शिवराज छत्रपति के पीछे भारत की तरुणाई जागी
इस अरुण – ध्वजा के निचे आ वीरों की अरुणाई जागी
जाएगा था हिन्दू तज आलस। ।
ओ गगन – गान के भाग्य दिवस ……….
शत्रु के सर कट मुकुट छेद , दुर्दम्य भवानी दमक उठी
रिपुदमन पराक्रम दिखलाकर स्वातंत्र्य मूर्ति थी चमक उठी
मस्तक नत हो जाता बरबस। ।
ओ गगन – गान के भाग्य दिवस ……….
उसका कर पावन नाम स्मरण पुलकित होता तन का कण – कण
भुजदंड फड़क उठते क्षण – क्षण कर याद शिवा का अदभुत रण
बिजली सी भरती है नस – नस। ।
ओ गगन – गान के भाग्य दिवस ……….
पावन हिन्दू साम्राज्य दिवस।
स्वातंत्र्य साध के ओ प्रतीक ,
ओ गगन – गान के भाग्य दिवस। ।
हिन्दू साम्राज्य दिवस हेतु अमृत वचन
यदुनाथ सरकार कहते हैं कि शिवाजी के राजनैतिक आदर्श इतने श्रेष्ठ थे कि आज भी हम उन्हें जैसे के तैसे स्वीकार कर सकते हैं। उनका उद्देश्य था प्रजा को सुख पहुँचाना। व्यापक सहिष्णुता में वे विश्वास रखते थे। उनके राज्य में सर्वजाति – पाति तथा उपासना , पंथ , उपपंथों के लिए उन्नति का द्वार खुला था। उनकी राज्य व्यवस्था जान कल्याणकारी , कार्यक्षम तथा निर्दोष थी।
हिन्दू साम्राज्य दिवस उत्स्व हेतु सामग्री –
- साफ़ संघ स्थान पर चुने द्वारा उचित रेखांकन।
- चुना , निल , गेरू , फूल आदि से ध्वजमंडल की सुन्दर साज – सज्जा।
- ध्वज , ध्वजदंड ,स्टैंड , माला ,पिन , धुप ,अगरबत्ती , माचिस आदि आवश्यकता के अनुरूप
- परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार जी , श्री गुरु जी , वीर शिवजी महाराज के सुन्दर व बड़ा चित्र।
- चित्र को सजाने के लिए माला , सफेद ,चांदनी चादर ,पिन ऊँचा आसान आदि
- बिछावन सभी के बैठने के लिए
- अधिकारी के बैठने की उचित व्यवस्था कुर्सी आदि
- ध्वनिविस्तारक आदि की उचित प्रबंध।
कार्यक्रम विधि सरल स्मरणीय –
- सम्पत
- गणगीत
- अधिकारी आगमन
- ध्वजारोहण
- अधिकारी परिचय
- अमृत वचन
- एकल गीत
- बौद्धिक वर्ग
- अध्यक्षीय आशीर्वचन
- प्रार्थना
- ध्वजवतरण
- विकिर
- प्रसाद वितरण
अमृत वचन जरूर पढ़ें
” राम – राज फिर आएगा , घर – घर भगवा छाएगा”
भगवा अग्नि का प्रतीक है। जिस प्रकार अग्नि सारी बुराइयों को जलाकर स्वाहा कर देती है , उसी प्रकार भगवा भी सारी बुराइयों को समाज से दूर करने का प्रयत्न कर रहा है। संपूर्ण भारत भगवामय हो ऐसा संघ का सपना है। यहाँ हमारा भगवा से आशय बुराई मुक्त समाज से है।
इस भगवा ध्वज को ‘ श्री रामचंद्र ‘ ने राम – राज्य में ‘ हिंदूकुश ‘ पर्वत पर फहराया था , जो हिंदू साम्राज्य के वर्चस्व का परिचायक है। इसी भगवा ध्वज को ‘ वीर शिवाजी ‘ ने मुगल व आताताईयों को भगाने के लिए थामा था। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी साँस छोड़ दिया , किंतु भगवा ध्वज को नहीं छोड़ा।
इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।
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