न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम।संघ गीत। rss geet | गणगीत rss
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे चरण चुमलेगी।।२
सदा जो जगाए बिना ही जगा है ,
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है।
वही बीज पनपा पनपना जिसे था ,
घुना क्या किसी के उगाये उगा है।
अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम ,
प्रखरता तुम्हारे चरण चुम लेगी।।
सही राह को छोड़कर जो मुड़े है ,
वही देखकर दूसरों को कुढ़े हैं।
बिना पंख तोले उड़े जो गगन में ,
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े हैं।
अगर उड़ सको तो पखेरू बनो तुम ,
प्रवरता तुम्हारे चरण चुम लेगी।।
न जो बर्फ की आंधी की आँधियों से लड़े हैं ,
कभी पग न उनके शिखर पर पड़े हैं।
जिन्हे लक्ष्य से काम अधिक प्यार खुद से ,
वही जी चुराए विमुख हो खड़े है।
अगर जी सको तो जीयो जूझकर तुम ,
अमरता तुम्हारे चरण चुम लेगी।।
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