संघ चेतना बढ़ना अपना काम
” संघ चेतना बढ़ना अपना काम “
आँधी चाहे तूफान मिले ,
चाहे जितने व्यवधान मिले ,
बढ़ना ही अपना काम है ,
बढ़ना ही अपना काम है |
हम नई चेतना की धारा ,
हम अंधियारे में उजियारा ,
हम उस ब्यार के झोंके हैं ,
जो हरले सब का दुःख सारा |
बढ़ना है शूल मिले तो क्या ?
पथ में अंगार जले तो क्या ?
जीवन में कहाँ विराम है ?
बढ़ना ही अपना काम है |
हम अनुयायी उन पाँवों के ,
आदर्श लिए जो खड़े रहे ,
बाधाएँ जिन्हे डिगा न सकी ,
जो संघर्ष पर अड़े रहे |
आँधी चाहे तूफान मिले ,
चाहे जितने व्यवधान मिले ,
बढ़ना ही अपना काम है ,
बढ़ना ही अपना काम है |
“संघ चेतना बढ़ना अपना काम”
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इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।
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