dand prahar kyu lagate hai

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दंड प्रहार का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह की 16 तारीख को स्वयंसेवक दंड प्रहार दिवस के रूप में मनाते हैं।

दंड प्रहार लगाने के पीछे अनेक उद्देश्य कार्य करते हैं।

आखिर वह क्या उद्देश्य है ? जिसके लिए स्वयंसेवक दंड प्रहार दिवस मनाते हैं। इस लेख में विस्तार से समझ सकेंगे।

दंड प्रहार क्यों लगाते हैं

दंड अर्थात लाठी , प्रहार भांजना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ माह के प्रत्येक 16 तारीख को दंड प्रहार दिवस के रूप में लाठी का विधिवत

प्रयोग करते हैं। वह दंड प्रहार लगाकर अपने शारीरिक क्षमता का आकलन करते हैं।

अपनी रक्षा लाठी के माध्यम से करने का अभ्यास करते हैं।

लाठी एक ऐसा माध्यम है , जिसके कुशल प्रयोग से ढेरों दुश्मनों को परास्त कर सकते हैं। उनका सामना सीमित संसाधनों के साथ भी

किया जा सकता है।

यह दिन प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए अपने शारीरिक आकलन करने का दिन होता है।

कुशलता पूर्वक दंड प्रहार लगाकर वह अपनी संख्या लिखते हैं , जिससे एक-दूसरे की संख्या की जानकारी होती है।

 

दंड का आरंभिक इतिहास dand prahar

दंड का प्रयोग आरंभिक काल से चला आ रहा है। आदिमानव की दंड का प्रयोग करते हुए हिंसक जानवरों का शिकार किया करता था।

आज वर्तमान समय में अनेकों ऐसे अस्त्र-शस्त्र है , जिसका प्रयोग आत्मरक्षा के लिए किया जाता है।

उन सभी अस्त्र-शस्त्र को कानून वैध नहीं मानती। दंड के लिए ऐसे कोई कानूनन प्रतिबंध नहीं है।

इसको प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में रख सकता है।

आवश्यकतानुसार प्रयोग भी कर सकता है।

यही कारण है , स्वयंसेवक कानून का सम्मान करते हुए दंड को अपनी शक्ति के रूप में घर में रखते हैं।

भारतीय इतिहास में एक ऐसी घटना देखने को मिलती है।एक समय सौ भारतीयों पर चार सौ से अधिक चीन के लुटेरों ने हमला किया।

उन भारतीयों ने चीन के लुटेरों को अपनी लाठी के बल पर मार भगाया था।

उन हमलावरों ने लाठी का कुशल प्रयोग पहली बार देखा था।

जब वह अपने देश लौट कर गए तो उन्होंने कराटे के साथ लाठी का प्रयोग करना सिखा।

आज भी उनके संस्कृति में कराटे तथा लाठी का प्रयोग देखा जाता है।

 

शारीरिक अभ्यास के लिए दंड प्रयोग dand prahar

शारीरिक अभ्यास तथा अपने शरीर के स्टैमिना को बढ़ाने के लिए भी दंड प्रयोग किया जाता है।

एक निश्चित समय में अधिक से अधिक स्फूर्ति के साथ दंड प्रयोग करने से व्यक्ति में स्टैमिना का विकास होता है।

उस व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियां जागृत होती है।माना जाता है नियमित दंड प्रयोग करने से व्यक्ति का शरीर स्वस्थ रहता है।

दंड प्रहार लगाने से स्वांस , हृदय , केलोस्ट्रोल संबंधी बीमारियां दूर रहती है। यह शारीरिक मजबूती के लिए ,

स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए लाभकारी है।

 

सीमित संसाधनों में सदैव तत्पर रहना dand prahar

प्राचीन समय में घातक अस्त्र-शस्त्र नहीं हुआ करते थे। लाठी एकमात्र प्रहार का साधन हुआ करता था।

अपनी संस्कृति के पूर्वजों को देखते हैं , तो हमें मालूम होता है उनके हाथों में एक लाठी अवश्य रहती थी।

यह कोई संस्कृति या विचारधारा नहीं थी।

वह अपनी रक्षा के लिए तथा किसी भी प्रकार के अचानक हुए हमले से बचाव के लिए अपने साथ रखते थे।

कितनी ही ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है , जब जन समुदाय एक साथ होकर आपस में लड़ बैठती थी।

ऐसे समय में उस व्यक्ति का पलड़ा भारी होता था जिसके हाथ में लाठी होती है। लाठी के द्वारा लगी चोट कई दिनों तक याद रहती थी।

मास्टर जी भी लाठी के छोटे रूप का प्रयोग करते थे अपने विद्यार्थियों के लिए।

विद्यार्थी पिटाई के डर से मास्टर जी का अनुकरण किया करते थे।

पुरानी कहावत है –लाठी के डर से भूत भी भागता है या कहावत उस समय सत्य थी।

 

दंड का प्रयोग करते हुए स्वयं तथा परिवार की रक्षा करना

एक समय की बात है गुरु जी किसी सभा में बैठे हुए थे। दूसरे विचारधारा के लोगों से बातचीत हो रही थी।

एक सज्जन उठे और उन्होंने गुरु जी से प्रश्न किया।

गुरुजी आधुनिक हथियारों के सामने आप दंड से अपने देश को कैसे बचाएंगे।

गुरुजी ने सरल स्वभाव से उस सज्जन को जवाब दिया।

जब देश पर हमला होगा , तो हम स्वयंसेवक अपने परिवारों को लेकर एक सुरक्षित स्थान पर चले जाएंगे।

उन्हें चारों ओर से दंड लेकर सुरक्षित कर लेंगे।

उपर्युक्त वार्तालाप से आप समझ सकते हैं , दंड बड़े से बड़े हमलावरों को भी पीछे हटने पर विवश कर देती है।

दंड का प्रयोग कानूनी रूप से अपनी रक्षा के लिए आप कर सकते हैं। यह किसी प्रकार से प्राणघातक नहीं है ,

जब तक आप उसका प्रयोग ठीक प्रकार से करते हैं।

एक कुशल प्रयोग से यह प्राण घातक हथियार भी साबित हो जाता है। यह प्रयोग यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुलभ नहीं है।

 

दंड का कुशल प्रयोग कैसे करें ? dand prahar

दंड का कुशल प्रयोग करने से प्रतिस्पर्धी के प्राण भी लिए जा सकते हैं। दंड के प्रहार से जिस प्रकार चोट असहनीय हो जाती है।

उसके कुशल प्रयोग से यह प्रहार प्राणघातक भी सिद्ध होती है। इसके लिए आपको नियमित अभ्यास करना पड़ता है।

उन सूक्ष्म बारीकियों को सीखना होता है जिससे सामने वाला व्यक्ति परास्त हो जाए।

दंड का प्रयोग अधिकतर चोट मारने के उद्देश्य से किया जाता है।

कई समय ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब सामने वाला व्यक्ति आप के प्राण लेने को आतुर होता है।

ऐसे समय में दंड का कुशल प्रयोग करते हुए उसके हमले से पूर्व आप उस की जीवन लीला समाप्त कर देते हैं।

कुशल प्रयोग में गर्दन या शरीर के ऐसे अंग पर प्रहार करने से हमलावर रणभूमि में मृत्यु को प्राप्त होता है।

 

दंड प्रयोग से पूर्व सावधानियां dand prahar

दंड को रखना या उससे प्रहार करना तब तक कानूनी है।

जब तक सामने वाले व्यक्ति का अहित हानि नहीं होता।

किसी प्रकार का जख्म या खून नहीं निकलता। तब तक आप दंड का प्रयोग कर सकते हैं।

दंड का प्रयोग उन्हीं स्थितियों में करना चाहिए , जब तक आत्मरक्षा का प्रश्न नहीं खड़ा होता।

दंड प्रयोग में किसी निर्दोष व्यक्ति की हानी नहीं होनी चाहिए।

 

केशवराव बलिराव हेडगेवार। संक्षेप जीवन परिचय।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ।

आदर्श कहानी महापुरुषों पर आधारित 

Hindi stories वीरों की कथा हिंदी में

 

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