Utho jawano hum bharat – प्रस्तुत गीत में भारतीय संस्कृति की महिमा का अविस्मरणीय रूप को प्रकट करने का प्रयास किया गया है। यह एकल गीत राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ में गाया जाता है , यह प्रेरणादायक और ओज रस से परिपूर्ण है।
इस गीत के माधयम से आज के समाज को सचेत और जागृत करने का प्रयास किया गया है ,किस प्रकार आक्रांताओं ने हमारे साथ छल किया दोस्त बनकर छुरा मारा। किस प्रकार अपने ही लोगों ने चक्रव्यूह रचकर अपनों की ही हत्या की इस गीत में मार्मिक रूप से व्यक्त किया गया है।
utho jawano hum bharat ke swabhiman sartaj hai
उठो जवानो हम भारत के स्वाभी मान सरताज़ है
उठो जवानो हम भारत के स्वाभी मान सरताज़ है
अभिमन्यु के रथ का पहिया, चक्रव्यूह की मार है
चमके कि ज्यों दिनकर चमका है
उठे कि ज्यो तूफान उठे
चले चाल मस्ताने गज सी
हँसे कि विपदा भाग उठे
हम भारत की तरुणाई है
माता की गलहार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया। ।
खेल कबड्डी कहकर
पाले में न घुस पाये दुश्मन
प्रतिद्वंदी से ताल ठोक कर
कहो भाग जाओ दुश्मन
मान जीजा के वीर शिवा हम
राणा के अवतार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया। ।
गुरु पूजा में एकलव्य हम
बैरागी के बाण है
लव कुश की हम प्रखर साधना
शकुंतला के प्राण है
चन्द्रगुप्त की दिग्विजयों के
हम ही खेवनहार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया। ।
गोरा, बदल, जयमल, पत्ता,
भगत सिंह, सुखदेव, आज़ाद
केशव की हम ध्येय साधना
माधव बन होती आवाज़
आज नहीं तो कल भारत के
हम ही पहरेदार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया। ।
उठो जवानो हम भारत के स्वाभी मान सरताज़ है
अभिमन्यु के रथ का पहिया, चक्रव्यूह मार है। ।