Aye mere watan ke logon lyrics ऐ मेरे वतन के लोगों – प्रस्तुत गीत लता मंगेशकर द्वारा सन 1963 में गाया गया था। 1962 में चीन द्वारा किए गए अचानक युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतों की याद में जब लता मंगेशकर ने स्टेज से इस गाने के स्वर को छेड़ा तो हर एक हिंदुस्तानियों के आंखों से आंसू की धारा बह निकली।
यह गीत 1963 में गणतंत्र दिवस के दिन लता मंगेशकर के द्वारा दिल्ली में गाया गया। यह गीत आज भी उसी उत्साह और जोश के साथ गाया जाता है जितना हादसे लगभग 55 साल पहले गाया गया था।
ऐ मेरे वतन के लोगों
aye mere watan ke logon
ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर ना आये
जो लौट के घर ना आये
ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
तुम भूल ना जाओ उनको
इसलिए सुनो ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला
सरहद पर मरनेवाला
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर
वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
चन्दन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है।
थी खून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त-समय आया तो
जब अन्त-समय आया तो
कह गए के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
तुम भूल न जाओ उनको
इस लिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जय हिन्द जय हिन्द
जय हिन्द की सेना
जय हिन्द जय हिन्द
जय हिन्द की सेना
जय हिन्द जय हिन्द जय हिन्द
आओ बच्चों तुम्हे दिखाए झांकी हिन्दुस्तान की। हिंदी देशभक्ति गीत। गीत
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई
गीत के कुछ मुख्य तथ्य
इस गीत के पंक्तियों में बलिदानों के समर्पण कुर्बानी और शहीदी को याद करते हुए उनकी याद में नारे लगाते , हुए तिरंगा को प्यार करना और उन वीर सपूतों को याद करना इसकी प्रेरणा दी गई है। और जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए वतन के लोगों की सलामती के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए उनको याद करते हुए उनको दुआएं देने की बात कहीं गई है।
उनकी भक्ति को भारतवासी भूल ना जाए उनके बलिदान को हमेशा याद रखें इसलिए इस गीत को गाया जा रहा है। किस प्रकार आखरी सांस तक वीर सेनानियों ने दुश्मनों से लड़ाई करते हुए वीरगति को प्राप्त की। जिस वक्त देशवासी होली और दिवाली का त्यौहार मना रहे थे , उस समय यह वीर दुश्मनों को जवाब दे रहे थे ताकि देशवासी खुशी और सलामती से अपना त्योहार मना सकें। इन वीर सेनानियों में कोई जाति धर्म नहीं था।
जिन्होंने अपने प्राण न्यौछावर किए वह केवल भारतीय वीर सपूत थे , जिन्होंने अपनी अंतिम सांस तक 1 – 1 वीर ने अनेकों अनेक शत्रुओं का सामना करते हुए उनके प्राण हर लिए और अंततोगत्वा स्वयं भी दिव्य यात्रा पर चल दिए। उन दीवानों , उन मस्तानों और उन वीरों की कुर्बानी/ शहीदी को लोग न भूल जाए इसलिए यह गीत लिखा गया और लोगों के सामने गाया गया।
यह गीत बड़ा ही ओजस्वी और करुणामय श्रद्धांजलि के रूप में गाया जाता है।
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